Tuesday, July 19, 2011

का करी सकत कुसंग

जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करी सकत कुसंग ।

चन्दन विष व्यापत नहीं, लिपटे रहत भुजंग ।।1 ॥

Monday, July 18, 2011

यहां तू किसके लिए बैठा है

अब न वो दर्द, न वो दिल, न वो दीवाने हैं
अब न वो साज, न वो सोज, न वो गाने हैं
साकी! अब भी यहां तू किसके लिए बैठा है
अब न वो जाम, न वो मय, न वो पैमाने हैं
-नीरज


इतने बदनाम हुए हम तो इस जमाने में
तुमको लग जाएंगी सदियां इसे भुलाने में
न तो पीने का सलीका, न पिलाने का शऊर
अब तो ऐसे लोग चले आते हैं मैखा
ने में
-नीरज

रहिमह ओछे नरन सो, बैर भली ना प्रीत।
काटे चाटे स्वान के, दोउ भाँति विपरीत॥

रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।
टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ परि जाय॥

रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून।
पानी गये न ऊबरे, मोती, मानुष, चून॥

रहिमन देख बड़ेन को

रहिमन देख बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि।
जहाँ काम आवै सुई, कहा करै तलवारि॥
-रहिम

तरुवर फल नहिं खात है

तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहि न पान।
कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान॥
- रहीम

एक दिन ऐसा आएगा

माटी कहे कुम्हार से, तु क्या रौंदे मोय ।
एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूगी तोय ॥

गुरु रूठे नहीं ठौर

कबीरा ते नर अँध है, गुरु को कहते और ।
हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहीं ठौर ॥

गुरु गोविंद

गुरु गोविंद दोनों खड़े, काके लागूं पाँय ।
बलिहारी गुरु आपनो, गोविंद दियो मिलाय ॥

मनवा तो पंछी भया

मनवा तो पंछी भया, उड़ के चला आकाश…
ऊपर से ही गिर पड़ा, मन माया के पास…
...कबीरा मन माया के पास…

तिनका कबहुँ ना निंदिये

तिनका कबहुँ ना निंदिये, जो पाँव तले होय |
कबहुँ उड़ आँखों पड़े, पीर घनेरी होय ||

Friday, July 15, 2011

बड़ा हुआ तो क्या हुआ

बड़ा हुआ तो क्या हुआ , जैसे पेड़ खजूर
पंथी को छाया नहीं , फल लागे अतिदूर

गुरु

गुरु कुम्हार सिख कुम्भ है,गढ़ गढ़ काढ़े खोट
अंदर हाथ सहार दै ,बाहर बाहें चोट

साईं इतना दीजिए

साईं इतना दीजिए जा में कुटुंब समाये,
मैं भी भूखा ना रहूँ साधू ना भूखा जाए !

बुरा जो

बुरा जो देखण मैं चला बुरा न मिलया कोए
जो मन खोजा आपणा तो मुझसे बुरा न कोए

(Meaning:
I searched for bad ones, I found none,
I searched for myself, and I found one (no one else is bad than me)
रात गंवाई सोय के, दिवस गंवाया खाय ।
हीरा जन्म अमोल था, कोड़ी बदले जाय ॥

-कबीर