अब न वो दर्द, न वो दिल, न वो दीवाने हैं अब न वो साज, न वो सोज, न वो गाने हैं साकी! अब भी यहां तू किसके लिए बैठा है अब न वो जाम, न वो मय, न वो पैमाने हैं
-नीरज
इतने बदनाम हुए हम तो इस जमाने में तुमको लग जाएंगी सदियां इसे भुलाने में न तो पीने का सलीका, न पिलाने का शऊर अब तो ऐसे लोग चले आते हैं मैखाने में