रहिमह ओछे नरन सो, बैर भली ना प्रीत।काटे चाटे स्वान के, दोउ भाँति विपरीत॥
रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ परि जाय॥
रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून।पानी गये न ऊबरे, मोती, मानुष, चून॥
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