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Kabira, at his best

Friday, July 15, 2011

गुरु

गुरु कुम्हार सिख कुम्भ है,गढ़ गढ़ काढ़े खोट
अंदर हाथ सहार दै ,बाहर बाहें चोट
Posted by Rupesh at 6:38 AM

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