skip to main
|
skip to sidebar
Kabira, at his best
Friday, July 15, 2011
बड़ा हुआ तो क्या हुआ
बड़ा हुआ तो क्या हुआ , जैसे पेड़ खजूर
पंथी को छाया नहीं , फल लागे अतिदूर
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Blog Archive
▼
2011
(15)
▼
July
(15)
का करी सकत कुसंग
यहां तू किसके लिए बैठा है
रहिमह ओछे नरन सो, बैर भली ना प्रीत।काटे चाटे स्वान...
रहिमन देख बड़ेन को
तरुवर फल नहिं खात है
एक दिन ऐसा आएगा
गुरु रूठे नहीं ठौर
गुरु गोविंद
मनवा तो पंछी भया
तिनका कबहुँ ना निंदिये
बड़ा हुआ तो क्या हुआ
गुरु
साईं इतना दीजिए
बुरा जो
रात गंवाई सोय के, दिवस गंवाया खाय ।हीरा जन्म अमोल ...
►
2007
(2)
►
June
(2)
About Me
Rupesh
View my complete profile
No comments:
Post a Comment